Monday, 2 December 2024

कहानी की तरह

एक फिक्र में डूबा चांद,
एक जलता हुआ गुमान,
अश्कों से भरा आसमान,
ईंटो का खाली मकान,
सब छोड़ दिया जाएगा
पानी की तरह,
मुझे इल्म है,
सब गढ़ा जाएगा फिर से
कहानी की तरह।
वो कहानी फिर वैसी ना होगी,
जो सोची गई थी,
वो लिखी जाएगी सच की कलम से,
गंदी, घिनौनी, मुंह फेर लेने लायक,
वो होगी सबकी कहानी,
मेरी, तुम्हारी, और सबसे ज्यादा उनकी 
जिन्होंने बोला झूठ खुद से,
मिला जब भी मौका
मुंह फेर लिया गया,
आंखें मूंद ली गईं
एक फरेब के पीछे।
मुझे ये भी इल्म है,
बिना वस्त्रों के खड़ी कहानी भी 
बन कर रह जाएगी बस कहानी।
वो चढ़ा दी जाएगी खुलेआम 
उसूलों की फांसी पर
किसी कुर्बानी की तरह,
वो पढ़ी जाएगी फिर से
बस कहानी की तरह।

No comments:

Post a Comment