Monday, 16 May 2022

अव्यक्त



एक बची हुई नींद तुम्हारी, 
एक सुबह की सरसरी ठंड, 
एक बची हुई खामोशी, 
और कभी ना गिरने वाला आँसू, 
ये सब दफ्न है बस एक परत नीचे। 
वो ज्यादा गहरे दफ्न नहीं है, 
बस एक परत नीचे। 

असल में सब महसूस होना कोई बड़ी बात नही है, 
बस खूबसूरत बात है। 
मगर परत उनको ढके रखती है, 
और हमको एहसास दिलाती है की हम अलग दुनिया के लायक है, 
नाकि इस दुनिया के जो दफ्न है,
बस एक परत नीचे। 

और जब कभी भी परत हटती है, 
तो सारे भाव एकसाथ चेहरे पर उतर जाते है, 
तुम्हारी बची हुई नींद का कुछ हिस्सा मैं सो लेता हूं, 
सरसरी ठंड मेरे कंधे पर बैठ जाती है, 
खामोशी और गहरी होने लगती है, 
कभी ना गिरने वाला आँसू अब गिरता है, 
अंततः जीवन होने का अर्थ समझ आने लगता है।

1 comment:

  1. जीना इसी का नाम है...

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