Sunday, 26 April 2020

अँधेरा उजाला !



उजालों के सामने अक्सर अंधेरों
को चुन लिया करता हूं मैं,
ख्वाब लाखों एक ही रात
में बुन लिया करता हूं मैं,
ये सन्नाट पहरे जो
रातों पर लगे है,
हमदर्द बन इनका हाल
सुन लिया करता हूं मैं।
मैं ढूंढ लेता हूं करार अपना
इन अंधेरों में ही,
उजालों ने कब किसे तवज्जों दी है?
कैसे समेट लेता है ये अंधेरा सब यूहीं,
उजालों में तो बस मशक्कत ही है।
इन काली  हवाओं की भीनी खुशबू
मुझे कुछ कह जाया करती है,
वो तारो की धीमी रोशनी
मेरे संग रह जाया करती है,
वो आधा सा चांद जैसे
बादलों से पर्दा करता है,
वो मीठी ठंड का झोंका
मेरी रूह को स्पर्श करता है,
मानो, हर चीज सिर्फ मुझसे
प्यार किया करती है,
शायद इसीलिए,
ये रातें हर बार मुझे
चुन लिया करती है।।

Wednesday, 22 April 2020

एक प्यारा सा पंछी !




एक प्यारा सा पंछी
मेरे दरवाजे पर आया,

कभी इठलाता
तो कभी गाना गाता,
पंख बिखेर इधर उधर
उसने मुझको खूब रिझाया,
उसने आसमां को मैदान समझा
तो मेरे मकान को घर बनाया,
अंधेरे में भी रोशनी फैलाता
उसने मुझे जीना सिखाया,
एक प्यारा सा पंछी
मेरे दरवाजे पर आया ।

वो पंख फैलाकर दिनभर
खूब उड़ाने भरता,
कभी मेरे कंधे पर सवार
तो कभी मेरे सिर पर,
वो मुझसे बेहद प्यार करता,
ना जाने ये फरिश्ता कहां से
खुशियों का पहाड़ ले आया,
एक प्यारा सा पंछी
मेरे दरवाजे पर आया ।

एक दिन वो उड़ा गगन मे
हलचल सी हुई मेरे मन मे,
मै एक आंख से टकटकी लगाता
तो एक आंख से खुद को बचाता,
उस रात वो घर को ना आया
मेरा दिल बहुत घबराया,
वो पल जो मैंने उसके लिए चुने थे
वो सपने जो मैंने अपने लिए बुने थे,
सब धुंधले पड़ने लगे थे,
जो दस्तक उसके आने पर हुई थी
वो दस्तक उसके जाने पर नहीं हुई,
मन ही मन उसकी चहचहाहट को
मैने कई बार दोहराया,
एक प्यारा सा पंछी
मेरे दरवाजे पर आया ।

हताश मन अब हार गया था
दरवाजे पर कई बार गया था,
फिर एक दस्तक हुई
मेरे कानो को छुही,
मैं दौड़ा गया आंगन मे
जश्न मनाया मन मे,
नजर फिराई पर कुछ समझ ना आया
कोने में पंछी को घायल पाया,
मेरा दिल ज्वाला बन फट गया
मैं जहां खड़ा था, वहीं डट गया,
मेरे दिल का लावा, मेरी आंखो से बाहर आया
उस नन्हे से पंछी को मैंने गोद मे उठाया,
उसकी आंखो में ना खौफ था, ना चाहत थी
बस दुनिया से विदा होने की राहत थी,
उसने मेरे हाथो में ही दम तोड़ दिया
इस घर को फिरसे मकान बना कर छोड़ दिया,
अब जब भी कोई दस्तक करके जाता है
तो वो प्यारा सा पंछी बहुत याद आता है,
कोई साथी हो तो पंछी जैसा 
उसने मेरा खूब साथ निभाया,
यूं एक प्यारा सा पंछी 
मेरे दिल के दरवाजे पर आया ।।